शनिवार, 12 अक्तूबर 2013

सिर्फ प्रतीक पुतलों को न जलाया जाये


दशहरा पर्व अब इस तरह मानाया जाये
सिर्फ प्रतीक पुतलों को न जलाया जाये
सदियाँ बीती मिट सकी न बुराई अब तक
इस बार अंदर के रावण को जलाया जाये


विजयादशमी उत्सव मात्र नही एक प्रतीक हो
बुराई पर अच्छाई की जीत की एक सीख हो
अंत बुरा ही होता है हर एक बुराई का जग मे
यही संदेश पाये जो इस उत्सव मे शरीक हो

सुरेश राय 'सरल'

(चित्र गूगल से साभार )

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर सन्देश देती रचना ... सच कहा है केवल प्रतीक नहीं ... बुराई के रावण को जलाना जरूरी है ...
    विजय दशमी की बधाई ...

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    1. हार्दिक आभार माननीय नासवा जी ,
      आओ दशहरा मनाएँ
      मन की बुराई जलाएं
      सादर
      सुरेश राय

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  2. पहली बार आना हुआ,आपने सच कहा रावण के पुतलों को जलने से बेहतर है की अन्दर के रावण को जलाया जाय. धन्यबाद आपका .

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    1. सम्मानित राजेंद्र जी , आपका हार्दिक स्वागत है जो आप यहाँ पधारे ।
      बदलेगा तभी ये सारा परिवेश
      जलाएंगे जब मन का लंकेश
      सादर
      सुरेश राय

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  3. सुन्दर सन्देश देती रचना !!

    संजय भास्‍कर
    शब्दों की मुस्कुराहट
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  4. वाकई मात्र पुतलों को ही क्‍यों जलाएं बुराई के असल बुरे प्रतीकों को भी जलाए। सुन्‍दर।

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