मान चिंगारी मुझे तुम,हौसलों की हवा देना.
पर बेरुखी की धूल से,मुझको न दबा देना.
आप का अभिनंदन है.आप के आशीष,स्नेह और प्रोत्साहन को टिप्पणी मे प्रकट करने की कृपा करें
पुरखों का ॠण पितृपक्ष मे यूं उतार दो
कागों को भोज अर्घ मे जल की धार दो
मिलेगी संतृप्ति उनको आशीष आपको
गर घर के जिन्दा बुजुर्गों को भी प्यार दो
सुरेश राय 'सरल'
वाह क्या बात कही है आपने। गर घर के जिन्दा बुजुर्गों को भी प्यार दो..............
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