कल शाम, मैं जब दफ्तर से घर आया
बडा विचित्र नजारा ,मैने घर पर पाया
देख नजारा मन मेरा, हो गया दुखिया,
टांक रहीं थी श्रीमति हमारी, साड़ी पर "रुपया"
मैने पूछा- प्रिये, ये क्या गजब ढा रही हो?
साड़ी पर ये रुपया क्यों टांके जा रही हो ?
वह बोली- कभी तो मुझे फैशन मे जीने दो,
आप मुंह हाथ धो लो, तब तक मुझको सीने दो
पता नही तुम्हे, फैशन ये कमाल हो गया
कल ही न्यूज मे सुना है "रुपया फाल" हो गया
सुर'S'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें