शनिवार, 24 अगस्त 2013

व्यंग कविता--" दामिनी-2 "



असुरक्षित मासूम बेटियाँ, असुरक्षित नारियाँ
हर तरफ दुराचार, दुष्कर्म,हत्या और दुश्वारियाँ
यही हाल कब तक रहना है, कहिये नेताजी ,क्या कहना है?

हर दिल मे आतंक, हर मन मे डर का साया है
दिल्ली का दंश, मुंबई ने दोहराया है
क्या कोई कड़ा कानून आपने बनवाया है?
यही हाल कब तक रहना है, कहिये नेताजी, क्या कहना है?

समाज़ मे सदमा,रुदन,क्रंदन और आक्रोश है
प्रशासन पर रोष, सरकार पर दोष है
यही हाल कब तक रहना है, कहिये नेताजी,क्या कहना है?

कहने को तो देश २१वीं सदी मे है
नारी की गरिमा , अब भी त्रासदी मे है
समाज सुधार के प्रयास, किंतु, परंतु, यदि, कदि मे हैं
यही हाल कब तक रहना है, कहिये नेताजी,क्या कहना है?

नेताजी बोले:
हम इस घटना की करते निंदा हैं
और अपने तर्क को करते जिंदा हैं

बात हमारी गहरी है
मुंबई तो एक फिल्मी नगरी है

यहाँ लोगो पर फिल्मी है असर
लोग फिल्मी जिन्दगी करते है बसर

यहां फिल्मों के सीक्वेल आते हैं
इसलिये ये ,घटना को दोहराते है

जैसे- डाँन-२, दबंग-२ आदि दोबारा आई है
ऐसे ही ,मुंबई के उन लडकों ने "दामिनी-२" बनाई है
सुर'S'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें