शनिवार, 31 अगस्त 2013

"कौशिश तो दिल से एक बार कीजिये जनाब"


अवसरों की बंदरबाँट, ऐसे तो न कीजिये
मौका बराबर सभी को दीजिये जनाब

नफरत का जहर ,देश को ऐसे न दीजिये
हर धर्म का सम्मान आप कीजिये जनाब

चूमा है फांसी जिन्होने, खातिर-ए-वतन
शहीदों मे उन्हे शामिल तो कीजिये जनाब

मंथन मे मिला बिष हमें, अमृत सदा आपको
एक बार अमृत हमें , स्वयं बिष पीजिये जनाब

आदमी हैं ये, इन्हे कोई वस्तु न समझे आप
इस्तेमाल कर इन्हे न फेंक दीजिये जनाब

अपनी चूक को हादसे का नाम न ऐसे दीजिये
व्यावस्था मे ही बड़ा सुधार कीजिये जनाब

है अलग नियम, अलग कतार क्यो आपके लिये
"जन"जीवन की ठौकरें आप भी लीजिये जनाब

सोते हैं हम थक कर, फुटपाथ पर भी सुकून से
महलों मे तो कभी चैन से आप सो लीजिये जनाब

कल जो खडे थे साथ , बुरे वक्त पर आपके
मौकापरस्त का उन्हे नाम न दीजिये जनाब

आजमाता है वक्त , फितरत सभी की बार बार
दौगलों सा कोई काम तो न कीजिये जनाब

है खून का रंग एक, एहसासे दर्द भी एक सा
जख्म जात-पात के तो ,न दीजिये जनाब

बदलेंगे मंजर भी जरुर, "कविराय सुरेश" कहे
कौशिश तो दिल से एक बार कीजिये जनाब
सुरS

बुधवार, 28 अगस्त 2013

व्यंग गीत -एक पुकार : " तेरा बदल गया संसार "


चौसर का दाँव खैलें,गली गली दुस्सासन
मूक, बधिर भी हो गया, धृतराष्ठ का शासन

कैसे बचाऐं लाज अपनी, बेटियाँ और नारी?
तेरा बदल गया संसार, अब तो आजा कृष्ण मुरारी

भ्रूणहत्या के पाप का ,अब तो सहा न जाये दंश
अपनी ही कन्या को मारें, माँ-बाप बने है कंश

कैसे जन्मेंगी सुभद्रा,राधा,मीरा और सखियाँ सारी?
तेरा बदल गया संसार, अब तो आजा बाँके बिहारी

नाग कालिया खादी पहन, नाचें ता था थैया
मझधार मे डुबा रहे, अब इस जग की नैया

कौन नथैगा इनको, पार लगेगी दुनिया सारी?
तेरा बदल गया संसार, अब तो आजा तू गिरधारी

गीता सार भूल गये, रास लीला इनको प्यारी
धर्म को बेंच रहे पाखण्डी, बन के धर्माचारी

कर्म से पहले फल की चिंता, सबको हुई है भारी
तेरा बदल गया संसार, अब तो आजा कुंज बिहारी

आज के अर्जुन सब कुछ सहकर भी मौन हैं
कौन इन्हे याद दिलाये, "उठकर देख तू कौन है"?

हक के लिये करले अर्जुन, धर्मयुध्द की तैयारी
तेरा बदल गया संसार, अब तो आजा तू गिरधारी

मंहगाई डायन के आगे, जीना बड़ा है दुश्वार
खून के साथ रगों मे बहता, अब तो भ्रष्टाचार

कैसे हो इनका संहार , कैसे मिटेगी ये बिमारी?
तेरा बदल गया संसार, अब तो आजा कृष्ण मुरारी

दूध, दही की नदियाँ कहाँ, अब तो नदियों मे नही पानी
प्रकृति का मालिक बन करता, मनुष्य इससे मनमानी

सूखा, बाढ़ और भूकंप , अब है प्रलय की बारी
तेरा बदल गया संसार, अब तो आजा तू गिरधारी
सुरS

मंगलवार, 27 अगस्त 2013

व्यंग कविता:- " खाद्य सुरक्षा या वोट सुरक्षा "


सपनों के सौदागर अब
बन गये देखो अन्नदाता
एक से छीना, दुजे को बाँटा,
इसमे क्या इनका जाता ?

तुम भी खाओ, हम भी खायें
अब तो खाने का कानून है
मिल बाँट कर खाने मे
मिलता बड़ा सकून है

तुम भी गाओ, हम भी गाऐं
"लाज" भले ही लुटती जाऐं

"खाना" को "सुरक्षा" पूरी
खाना न लुटने देंगे
गरीब बढें चाहे जितने
"गरीबी" न हटने देंगे

तुम भी खाओ, हम भी खाऐं
अब नही कोई मजबूरी है
चुनाव तक तुम्हे जिंदा रखना
हमारे लिये बहुत जरूरी है

"खाद्य सुरक्षा" या "वोट सुरक्षा"
फैसला तो वक्त ही सुनाएगा
किसकी पकैगी खिचडी?
कौन खाली पतीला बजाएगा?

नीयत और नीति से ,कितना इनका वास्ता ?
क्या पेट से होकर जायेगा, अब सत्ता का रास्ता ?

सुरS

सोमवार, 26 अगस्त 2013

व्यंग कविता:-" वेदों मे छिपा है राज़"


जब हो गये बेअसर, सारे सरकारी प्रयास
अर्थशास्त्री हुये व्यर्थ, जनता हुई निराश

शायद कोई उपाय मिले, यही मन मे लिये आश
जनता सारी पहुंच गई, धर्माचार्य बाबा के पास

बलिहारी बाबा आपकी, कोई तो दियो उपाय
मंहगाई से लड़ने का, मार्ग हमें दीजो सुझाये

धर्माचार्य बाबा ने कहा:
मैं तो सदा से कहता आया पर, मेरी बात तुम्हे समझ न आई
अब समझोगे ,क्यों मैं सदा भक्तों से था कहता, शाकाहारी रहो भाई

मंहगाई से निपटने का, वेदों मे छिपा है राज़
भोजन करो सात्विक, बिना "लहसुन", बिना "प्याज"

सुर'S'

रविवार, 25 अगस्त 2013

व्यंग कविता:- " काली थैली " The Black Bag




सब्जी मण्डी के द्वार पर, मुझे प्रशासन ने टोक दिया
काली थैली नही थी पास मेरेे , इसलिये रोक दिया

उन्होने खेद जताया, फिर अपनी मजबूरी बताया. . .

सरकार को आम जन की हुई है चिंता भारी
जब से लूट ली गई है, प्याज से भरी लॉरी

जनता को सुरक्षा देने की, सरकार की है भावना
क्योंकि आप की भी प्याज कि थैली, लुटने की है संभावना

सब्जी मण्डी को दिये गये है ये शक्त निर्देश
"वर्जित है लोगों का ,बिना काली थैली प्रवेश"

जो भी व्यापारी पारदर्शी थैली मे प्याज बेचता हुआ पकडा जायेगा
उस पर एक महीने की कैद और 100 "डॉलर" का जुर्माना आएगा

हमने पूछा:
इस उपाय से क्या समस्या खत्म हो जायेगी ?
क्या काली थैली मे प्याज नजर नही आएगी ?

जबाब़ मिला:
जब सरकार को नेताओ का "काला धन" नजर नही आया
फिर लुटेरों को काली थैली मे रखी प्याज कैसे नजर आएगी मेरे भाया

"काला धन", "काला बाज़ारी" अब काली थैली है
त्रासदी कितने तरह की, इस देश ने झैली है. . . .
सुर'S'

शनिवार, 24 अगस्त 2013

हास्य व्यंग कविता-" रुपया फाल हो गया "



कल शाम, मैं जब दफ्तर से घर आया
बडा विचित्र नजारा ,मैने घर पर पाया

देख नजारा मन मेरा, हो गया दुखिया,
टांक रहीं थी श्रीमति हमारी, साड़ी पर "रुपया"

मैने पूछा- प्रिये, ये क्या गजब ढा रही हो?
साड़ी पर ये रुपया क्यों टांके जा रही हो ?

वह बोली- कभी तो मुझे फैशन मे जीने दो,
आप मुंह हाथ धो लो, तब तक मुझको सीने दो

पता नही तुम्हे, फैशन ये कमाल हो गया
कल ही न्यूज मे सुना है "रुपया फाल" हो गया

सुर'S'

व्यंग कविता--" दामिनी-2 "



असुरक्षित मासूम बेटियाँ, असुरक्षित नारियाँ
हर तरफ दुराचार, दुष्कर्म,हत्या और दुश्वारियाँ
यही हाल कब तक रहना है, कहिये नेताजी ,क्या कहना है?

हर दिल मे आतंक, हर मन मे डर का साया है
दिल्ली का दंश, मुंबई ने दोहराया है
क्या कोई कड़ा कानून आपने बनवाया है?
यही हाल कब तक रहना है, कहिये नेताजी, क्या कहना है?

समाज़ मे सदमा,रुदन,क्रंदन और आक्रोश है
प्रशासन पर रोष, सरकार पर दोष है
यही हाल कब तक रहना है, कहिये नेताजी,क्या कहना है?

कहने को तो देश २१वीं सदी मे है
नारी की गरिमा , अब भी त्रासदी मे है
समाज सुधार के प्रयास, किंतु, परंतु, यदि, कदि मे हैं
यही हाल कब तक रहना है, कहिये नेताजी,क्या कहना है?

नेताजी बोले:
हम इस घटना की करते निंदा हैं
और अपने तर्क को करते जिंदा हैं

बात हमारी गहरी है
मुंबई तो एक फिल्मी नगरी है

यहाँ लोगो पर फिल्मी है असर
लोग फिल्मी जिन्दगी करते है बसर

यहां फिल्मों के सीक्वेल आते हैं
इसलिये ये ,घटना को दोहराते है

जैसे- डाँन-२, दबंग-२ आदि दोबारा आई है
ऐसे ही ,मुंबई के उन लडकों ने "दामिनी-२" बनाई है
सुर'S'

बुधवार, 21 अगस्त 2013

हास्य व्यंग कविता-"उपहार राखी का"



रक्षाबंधन पर घर मेरी बहना आई,
बांध के राखी उसने, प्यार की रस्म निभाई

बोला मैने उसे ,देख के उसका प्यार
बोलो बहना ,चाहिये तुम्हे क्या उपहार ?

देते हो उपहार सदा तुम मेरे मन का
कितना है ख्याल तुम्हे मेरी पसंद का

जुग जुग जिये मेरा प्यारा भाई
"डालर" मे हो अब तेरी कमाई

मांग रही है जो तुमसे ,तुम्हारी गरीब बहना
किसी से भी भाई, ये बात तुम न कहना

बहन थोड़ा सकुचाई, फिर खोला दिल का राज़,
उपहार मे दे दो भैया, सिर्फ दौ किलो "प्याज"।

सुर'S'

सोमवार, 19 अगस्त 2013

"अजन्मी बहन का भाई को संदेश"


अजन्मी कन्या भ्रूण की ,भाई को पाती. . .

हर बरस सावन का महीना आएगा
संग अपने राखी का त्यौहार लाएगा

खिल उठेंगी कलाई भाई की, रंग बिरंगी राखी से
लेकिन कुछ बदनसीबों की कलाई, सूनी ही रह जाएगी

सूनी कलाई तेरी ,जब तुझको चिढाएगी
हे भाई देखना, तुझे मेरी बहुत याद आएगी

बांध राखी, बहन भाई से रक्षा की करती है आश
रक्षा वचन देने का भाग्य, रहा न अब तेरे पास

ग्लानी और अफसोस से ,तेरा दिल भर आएगा
मेरे न होने का सबब, अगर तू जान जाएगा

तेरी(बेटे) चाहत मे ही , माँ-बाप ने ये दुष्कृत्य किया
भ्रूणावस्था मे ही मुझको मार, दुनिया से रुख़सत किया

जानती हुं, जीवन मे तेरे , रहेगी मेरी कमी
कम न होगी ऐसे मौकों पर, आँखों से तेरी नमी

भाई पर होता है कर्ज ,कि वो बहन का पाणिग्रहण करे
इस जनम मे तो हे भाई, तू ऋणी रह जाएगा

गम न कर, बेटी बनाकर, देना तू मुझको जनम
कन्यादान के कर्ज से, मुक्त तू हो जाएगा

भाई-बहन के पावन रिश्ते का सुख, वो न भोग पाऐंगे
जिनके माँ-बाप, कोख मे ही ,अपनी बेटी को मरवाऐंगे

बेटियों का जन्म, इस धरा पे, बेवजह नही है
ईश्वर का वरदान हैं, बेटियाँ सज़ा नही हैं

सुरS

हास्य व्यंग-"अब के सावन मेे "


आती थी ढेरों मिठाई, बहनों के लिये बडे उपहार
इन पर पडी है मंहगाई की मार, अब के सावन मे

जितने मे पहले मिल जाती थीं दर्जनों राखियां
उतने मे बिक रही राखियां चार , अब के सावन मे

पहले जाती थीं बहनें घर भाई के, बांधने रक्षाबंधन
भेजी हैं पोस्ट से राखी इस बार, अब के सावन मे

लगते थे झूले और मेले, हरयाली तीज पर
क्लब मे मनाया है तीज त्यौहार, अब के सावन मे

थी कभी "दौ टके" की नौकरी, सावन "लाखों "का ,प्यार मे,
हो गया है नौकरी से सस्ता प्यार, अब के सावन मे

हर तरफ हुआ करती थी, हफ्तों सावन की झड़ी
है कहीं सूखा, कहीं पर बाढ़, अब के सावन मे

नागपंचमी मनाते थे सभी, पिलाकर दूध नाग को
दूध लिये दिखी, नेताओ के घर लंबी कतार, अब के सावन मे

कहे सुरेश, मनचले मजनुओं से,
कि घर से बाहर निकलें न वो,
आ गया है राखी का त्यौहार ,अब के सावन मे
सुरS

शनिवार, 17 अगस्त 2013

सिर हमने झुकाया तो नही


"भारतीय सेना-देश का गौरव" की आवाज

सिर तुम हमारा काट ले गये,
सिर हमने झुकाया तो नही

पीठ पीछे वार किया तुमने,
सामने से हमे आजमाया नही

शेर हैं हम माँ भारती के,
गीदड़ सा जीना हमे आया नही

करते हैं सम्मान संविधान का हम,
सेना का ध्वज संसद मे लहराया तो नही

कहते है हम जो, करते है वही,
दोगलों मे नाम हमारा आया तो नही

शौर्य है परंपरा हमारी,
बुजदिली का तमगा हमने लगवाया तो नही

है गवाह इतिहास भी इस बात का,
बढ़ गये कदम जो आगे, पीछे उन्हे लौटाया नही

सीमा शर्तो का रखते है मान हम,
सीज फायर का उलंघन हमे कभी भाया नही

दे सकते है तेरी हर गफलत का जबाव ,
एक इशारा दिल्ली से अभी पाया तो नही.

अब सोच ले तू, जान कितनी तेरी मुश्किल मे है
सरफरोशी की तमन्ना फिर हमारे दिल मे है. . .
सुरS

व्यंग कविता-"यही हाल कब तक रहना है ?"


मंत्रिजी से हमने पूछा :

प्याज अब बिना कटे ही रुला रही,
लाली टमाटर की अब नही भा रही
सरकार जनता को बहला रही

यही हाल कब तक रहना है ?
आप ही कहें मंत्रि जी, क्या कहना है ?

सब्जियों के दाम आसमान पर हैं,
यही चर्चा अब हर जुबान पर है
मंहगाई से जनता त्रस्त है
सरकार चुनावी तैयारी मे मस्त है

यही हाल कब तक रहना है ?
आप ही कहें मंत्रि जी, क्या कहना है ?

मंहगाई का दलालों से रिश्ता गहरा है
मंडी मे बिचोलियों का पहरा है
सरकार सुस्त, प्रशासन बहरा है

यही हाल कब तक रहना है ?
आप ही कहें मंत्रि जी, क्या कहना है ?

आम न रहे "आम" के लिये
लोग तरस रहे जाम के लिये
सेव तो घर मे एक ही कटता है
एक अनार सौ लोगों मे बटता है

यही हाल कब तक रहना है ?
आप ही कहें मंत्रि जी, क्या कहना है ?

मंत्रिजी बोले :

सब्जियों, फलों के जो भाव हैं
इसमे सरकार का प्रभाव है

आरोप हमे नही सहना है
सुनो, सरकार का यह कहना है कि

बारिश का मौसम आता है
संग कई बिमारियां लाता है
जो भी हरी सब्जियां खाता है
वह बीमार हो जाता है
फल,दवाईयों का खर्च उठा नही पाता है

इसलिये ये मंहगाई नही उपाय है
आप व्यर्थ ही करते हाय-हाय हैं

मानो न मानो तर्क सही है
सरकार का प्रयास यही है

हरी सब्जियां केवल वे लोग ही खांए
जो फलों व दवाईयों का खर्चा भी उठा पांए.
सुरेश राय सुरS

(चित्र गूगल से साभार )