गुरुवार, 22 जून 2017

पहली दस्तक

पहली दस्तक दी दिल में
वो ही मेरे पास नही
हमने उनको कितना चाहा
उनको ये एहसास नही

नदिया दरिया सागर देखे
बुझती मेरी प्यास नही
बिन पाये ही खोया तुमको
होता मुझको विश्वास नही

मिलना फिर मुझ से तुम
तोडना मेरी आस नही
एक दिन ऐसा न आये
यदि तुम नही तो साँस नही
सुरेश राय 'सरल'

मैं कोई साया तो नही था

छोड़ देता तन्हा अँधेरे में तुझे कैसे
मैं कोई साया तो नही था

तूने अपना समझा न कभी
मगर मैं पराया तो नही था
सुरेश राय 'सरल'

क्या कहूँ क्या छोडूं यार

क्या कहूँ क्या छोडूं यार
वादा कैसे मैं तोडूं यार ....

बढ़ चला हूँ आगे इतना
खुद को कैसे मोडूं यार .....

सीसे से भी नाजुक है
दिल कैसे मैं तोडूं यार....

अना के चूहे कतर गए
वो रिश्ते कैसे मैं ओढूं यार ....

बिना गाँठ जो मुमकिन हो
बंधन कैसे फिर जोडूं यार....

संग चले थे जिन राहों में
तुझ बिन कैसे मैं दौडूं यार .....
सुरेश राय 'सरल'

रख होठों में मुस्कान भैये

काहे रहता परेशान भैये
खुद पर कर एहसान भैये
धीरे धीरे ही चलता जा
होगा सफ़र आसान भैये

पूरे तो सबके होते नही
हर एक अरमान भैये
खुद से जो तू हार गया
हो जाएगा गुमनाम भैये

औरों को गर जान लिया
खुद को अब पहचान भैये
जीवन 'सरल' हो जाएगा
रख होठों में मुस्कान भैये

सुरेश राय 'सरल'

शनिवार, 25 अप्रैल 2015

"सच्ची दौलत "




पुरवाई है मां का आंचल
हाथ पिता का साया सा

लेकर रुप मात पिता का
ईश्वर धरती पे आया सा

देखी जब भी सूरत इनकी
अक्स खुदा का पाया सा

ये तो नेमत है कुदरत की
इनमे ब्रम्हांड समाया सा

अनमोल वक्त है जीवन का
संग जो इनके बिताया सा

धिक्कारे जो बुजुर्गों को
जन्म ऐसे सुत का जाया सा

मिले नही पुण्य उसे कभी
दिल इनका गर दुखाया सा

सच्ची दौलत है दुनिया की
न मानो इनको पराया सा

है धन्य उसी का जन्म सरल
भावार्थ मेरा जिसे भाया सा

सुरेश राय 'सरल'

अम्मा


ममता की खान है अम्मा
कुदरत की शान है अम्मा
इंसान के स्वरुप मे आयी
धरा पर भगवान है अम्मा

पिता जी का मान है अम्मा
परिवार की जान है अम्मा
सब के मन की बात सुन ले
बिना कहे वो कान है अम्मा

बच्चों का जहॉन है अम्मा
गीता और कुरान है अम्मा
कानों मे सदा अमृत घोले
ऐसी तुक व तान है अम्मा

नारी का अरमान है अम्मा
साहस की पहचान है अम्मा
चुनौतियाँ फीकी पड़ जाती
ऐसी एक मुस्कान है अम्मा

संघर्षों का प्रमाण है अम्मा
इरादों मे पाषाण है अम्मा
हमें गर कोई आँख दिखाये
बन जाती पैना बाण है अम्मा

गृहस्ती की कमान है अम्मा
रिश्तों की बागबान है अम्मा
शब्दों मे जिसे लिख न पाये
'सरल' इतनी महान है अम्मा
सुरेश राय 'सरल'

चित्र गूगल से साभार

बुधवार, 1 जनवरी 2014

आओ इस नये साल मे


सुख दुख तो जीवन के साथी,
जीना हमें हर हाल मे
खुश रहने का वादा करलें,
आओ इस नये साल मे

क्या पाया क्या खोया हमने,
न उलझें इन सवाल मे
नई उम्मीदों से दामन भरले,
आओ इस नये साल मे

पनीर की कौशिश करें तब तक
काम चलाये दाल मे
आशाओं को दुगना कर लें ,
आओ इस नये साल मे

सुर से सुर मिलायें जीवन के
ताल देकर ताल मे
हर रंग को अपना कर लें ,
आओ इस नये साल मे

सैयाद हर तरफ मिलेंगे
फंसें न इनके जाल में
स्वविवेक से राहें चुनलें
आओ इस नये साल मे
सुरेश राय 'सरल'

चित्र गूगल से साभार